उत्कृष्ट रचना पथ आँगन में रख आई सूर्यकांत त्रिपाठी निराला घर में मध्यांतर में शीशे में #दिल में तू साँस में तू चाँद धड़कन प्राण प्राण में प्राण में भी तुम्हीं ध्यान में

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